A selection of teachings of Holy Mother Sri Sarada Devi.
‘जिनका चरित्र एवं जीवन पवित्र है, जो पवित्रता की प्रतिमूर्ति हैं, उन देवी को हम बारम्बार प्रणाम करते हैं।’ ऐसी है हमारी श्रीमाँ सारदा देवी ! श्रीरामकृष्णा के देहत्याग के बाद श्रीमाँ की इच्छा हुई कि वे भी अपना शरीर छोड़ दें। उस समय श्रीरामकृष्ण उनके सामने प्रकट हुए और बोले, ‘नहीं, तुम्हें रहना होगा। अभी बहुत-सा काम बाकी है।’ श्रीमाँ का कार्य प्रारम्भ हुआ। असंख्य साधक, भक्त, गृहस्थ, साधु तथा सामान्य जन अपने जीवन की समस्याओं का समाधान और सर्वोपरि – मन की शान्ति पाने के लिए उनके पास आते थे। श्रीमाँ के स्नेहपूर्ण उपदेशों से उन लोगों के प्राण तृप्त हो जाते और वे प्रसन्न चित्त के साथ लौट आते।
श्रीमाँ के उपदेश विभिन्न लेखों, संस्मरणों तथा ग्रन्थों में इधर-उधर बिखरे हुए थे। चेन्नै के रामकृष्ण मठ ने उपदेशों का एक लघु संकलन १९८२ ई. में एक अंग्रेजी पुस्तक- ‘Teachings of Sri Sarada Devi-The Holy Mother’ के रूप में प्रकाशित किया। आध्यात्मिक एवं पवित्र जीवन के निर्माण एवं विकास के लिए उन उपदेशों की व्यावहारिक उपयोगिता सन्देह से परे है।
वाराणसी स्थित रामकृष्ण संघ के वरिष्ठ संन्यासी स्वामी व्योमानन्दजी ने उस संकलन का हिन्दी अनुवाद करके इस आवश्यकता की पूर्ति का स्तुत्य प्रयास किया है । काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के प्राध्यापक डॉ. अवधेश प्रधान ने जहाँ-तहाँ इसे सँवारने में हाथ बँटाया है । हम इनके आभारी हैं । उनके अनुसार, ‘अनुवाद की भाषा इतनी सरल, बोधगम्य एवं मधुर है कि बिलकुल मौलिक जान पड़ती है ।’
श्रीमाँ सारदा देवी की यह ‘अमृतवाणी’ पाठकों के आध्यात्मिक जीवन में नई प्रेरणा एवं शक्ति प्रदान करे इसी आशा तथा विश्वास के साथ हम इसे उनके हाथों अर्पित करते हैं।
Buy eBook
Reviews
There are no reviews yet.