An exhaustive life of Holy Mother incorporating as many facts and incidents of Mother’s life as could be gleaned from all reliable sources, oral and documentary.
श्रीमाँ सारदा देवी की शतवर्ष-जयन्ती के उपलक्ष्य में भारत की विभिन्न भाषाओं में उनकी संक्षिप्त एवं बृहत् जीवनियाँ प्रकाशित हुई हैं। इसके पूर्व भी उनकी जीवनी एवं वाणी विविध ग्रन्थरूप में सबके समक्ष उपस्थित की जा चुकी है। इतना होने पर भी श्रीमाँ की एक मौलिक तथा सम्पूर्ण जीवनी का अभाव दिर्घकाल से अत्यन्त खटक रहा था। इसी अभाव को दूर करने के विचार से श्रीमाँ की शतवर्ष-जयन्ती के प्रारम्भ में ही स्वामी गम्भीरानन्द की रचना तथा स्वामी माधवानन्द के सम्पादन में बँगला में उनकी एक बृहत् जीवनी प्रकाशित हुई है। हिन्दी-भाषा-भाषियों के हितार्थ उसी ग्रन्थ का अनुवाद हिन्दी में प्रकाशित किया गया है। इलाहाबाद के अध्यापक जयराम मिश्र, एम० ए०, एम० एड०, साहित्यरत्न और पक्षिम बंग राष्ट्रभाषा-प्रचार-समिति, कोलकाता के अध्यापक भुवनेश्वर झा, साहित्यभूषण, साहित्यरत्न ने यह अनुवाद कर हमें आभारी किया है। स्वामी माधवानन्द ने इस अनुवाद-ग्रन्थ का भी सम्पादन किया है। आकार वृद्धि के भय से मूलग्रन्थ के कुछ-कुछ अंश निकाल दिए गए हैं।
यद्यपि शतवर्ष-जयन्ती-उत्सव दिसम्बर, १९५४ में ही सम्पूर्ण हो चुका है, तथापि उक्त जीवनी-प्रकाशन की विशेष सार्थकता है, ऐसा जानकर इसके प्रकाशन में हम प्रवृत्त हुए। हिन्दी के पाठक-पाठिकागण यदि इस ग्रन्थ के पवित्र जीवन का यत्किंचित् भी परिचय पा सकें, तो हम अपना परिश्रम सार्थक समझेंगे।
अन्त में हमें यह कहने में हर्ष होता है कि मैसूर की माननीया राजमाता श्रीयुक्ता प्रताप कुंअर ने इस पुस्तक का समस्त व्ययभार वहन कर अपनी गुणग्राहिता का परिचय दिया है। ग्रन्थ का सम्पूर्ण स्वत्व श्रीमाँ की शतवर्ष-जयन्ती-समिति द्वारा संरक्षित रहा।
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