Volume 3 of 5.Hindi translation of Pictorial Mahabharata.Translated by Swami Videhatmananda
‘सचित्र महाभारत’ के दूसरे भाग में हम लोगों ने देखा कि वीर तथा सज्जन पाण्डवों को उनके दुर्भावनाग्रस्त चचेरे भाइयों अर्थात् कौरवों ने घोखा देकर उन्हें बारह वर्षों के लिये वनवास में भेज दिया था। वह अवधि पूरी हो जाने के बाद उन्हें बारह महीनों तक अज्ञातवास में भी रहना था। इस अन्तिम एक वर्ष के दौरान जो नाटकीय घटनाएँ हुई, इस भाग में हम उन्हीं को प्रस्तुत कर रहे हैं। आखिरकार जब पाण्डव अपने अज्ञातवास से बाहर आये और अपना राज्य वापस माँगा, तो कौरवों ने उसका एक इंच भी लौटाने से इनकार कर दिया। श्रीकृष्ण स्वयं ही शान्ति स्थापना के लिये गये, परन्तु
खाली हाथ लौटे। अब एक भयंकर युद्ध को टाला नहीं । ___जा सकता था। कन्ती ने अपने पहले पुत्र कर्ण को कहा कि वह दुर्योधन का साथ छोड़कर इधर आ जाय, परन्तु वह नहीं माना।यह भाग हमें उस महान् दुर्घटना के निकट तक पहुँचा देता है।
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