Volume 2 of 5.Hindi translation of Pictorial Mahabharata.Translated by Swami Videhatmananda
आप लोगों ने ‘सचित्र महाभारत’ के पहले भाग में वर्णित, पाण्डव तथा कौरव नाम के चचेरे भाइयों के बीच प्रारम्भ होनेवाली कट प्रतिस्पर्धा की मनोरंजक कथा का आनन्द लिया। यह एक पारिवारिक संघर्ष था, जिसका पूरे भारतवर्ष पर दूरगामी प्रभाव पड़ा। आज भी इस भयंकर संघर्ष के अन्तिम पर्व को कुरुक्षेत्र के युद्ध के रूप में याद किया जाता है। इस दूसरे भाग में हम उन परिस्थितियों को देख सकेंगे, जिन्होंने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस ऐतिहासिक युद्ध को जन्म दिया। इसमें हम यह भी देख सकेंगे कि भाग्य का चक्र कैसा कठोर होता है। यहाँ तक कि भले तथा न्यायप्रिय लोगों को भी कठिनाइयों तथा कष्टों से होकर गुजरना पड़ता है, जिसे देखकर कभी-कभी हमें आश्चर्य होता है कि क्या इस संसार में सचमुच ही न्याय नाम की कोई चीज है? महर्षि व्यास ने इस महाग्रन्थ में उल्लेखित व्यक्तियों का बड़ा ही सजीव चित्रण किया है। बदलती हुई परिस्थितियों के अनुसार हर व्यक्ति को विभिन्न प्रकार के कर्तव्यों का पालन करना पड़ता है। महाभारत केवल एक धार्मिक या नैतिक ग्रन्थ ही नहीं, अपितु एक अति रोचक शिक्षाप्रद कथाओं की श्रृंखला भी है, जो हमें विभिन्न मनुष्यों के भावों तथा स्वभावों को समझने के लिये एक गहरी अन्तर्दृष्टि प्रदान करती है।
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