Pictorial depiction, in Hindi, of the story “Each is great in its own place” told by Swami Vivekananda.
हमारे शास्त्रों में कथा-कहानियों के माध्यम से भारतीय -संस्कृति और मूल्यबोध की शिक्षा देने की परम्परा नहीं बच्चों के लिए लिखी गई इस पुस्तक में एक जटिल मार महत्त्वपूर्ण प्रश्न का उत्तर एक लघु-कथा के माध्यम से देने । का प्रयास किया गया है। यह स्वामी विवेकानन्द द्वारा कही गई एक कथा का ही पुनर्लेखन है।यह पुस्तक उद्बोधन कार्यालय, कोलकाता, द्वारा प्रकाशित बंगला पुस्तक ‘के महान’ का हिन्दी अनुवाद है। अनुवाद की तथा बंगला पुस्तक के सुन्दर चित्रों के उपयोग की अनुमति देने के लिए हम उद्बोधन कार्यालय के आभारी हैं। अनुवाद के लिए हम श्री केशव प्रसाद कायाँ के कृतज्ञ है। इसके सम्पादन तथा प्रूफ-संशोध में स्वामी विमोहानन्द तथा श्रीमती मधु दर का विशेष यो रहा है। हम इनके प्रति भी आभार व्यक्त करते है।यदि अधिकाधिक संख्या में बच्चे इस स्तक से लाभान्वित हो तो हमें अत्यन्त प्रसन्नता होगी।