This is a Hindi version of English book named “The Nationalistic and Religious lectures of Swami Vivekananda” published by Ramakrishna Nath, Nagpur.
‘धर्म निरपेक्षता और भारतीय राष्ट्रवाद’ पुस्तक का प्रकाशन पाठकों के समक्ष रखते हुए हमें अत्यन्त हर्ष हो रहा है। स्वामी विवेकानन्द का व्यक्तित्व बहुआयामी था। सर्वोपरि रूप से वे एक ऐसे विलक्षण आध्यात्मिक विभूति थे जिनमें परस्पर विरोधीभाव पूर्णता और समरसता के सोथ पुंजीभूत है। वे स्वयं के उद्धार से सन्तुष्ट न होकर उन्होंने भारत और विश्व को अपनी बाहों में समेट लिया था। मानव मात्र को उसके देवत्व के प्रति सचेत करना उनका विशिष्ट कार्य था। इस दृष्टि से उनका सन्देश भारत और भारतेतर देशों के लिए था और वह सर्वकालिक था। स्वामी तपस्यानन्दजी महाराज ने विवेकानन्द साहित्य से चुन-चुन कर उनके दार्शनिक, राष्ट्रीय तथा योग सम्बन्धी व्याख्यानों को सरल तथा स्पष्ट करते हुए तीन पुस्तकें तैयार की है। उनमें से उनके धर्म और राष्ट्रवादी व्याख्यानों का संकलन तथा उनकी पुर्नप्रस्तुति इस पुस्तक के रूप में पाठकों के सामने लाई जा रही है। महाराज श्री ने ‘धर्म और धर्मनिरपेक्षता’ विषय को प्रस्तावना के रूप में रखा है। धर्मनिरपेक्षता की पृष्ठभूमि में स्वामीजी के व्याख्यान और भी अधिक जीवन्त और ज्वलन्त हो उठे है। इसलिए पुस्तक का शीर्षक ‘धर्मनिरपेक्षता और भारतीय राष्ट्रवाद’ दिया गया है। स्वामी तपस्यानन्द जी महाराज की अंग्रेजी में मूल पुस्तक ‘The Nationalistic and Religious lectures of Swami Vivekananda’ का यह हिन्दी अनुवाद विवेकानन्द साहित्य के प्रेमी पाठक पूर्व प्रमुख कृषि वैज्ञानिक डॉ. सुरेशचंद्र शर्मा ने किया है, जिसके लिए हम उनके आभारी हैं।
अपनी ओर से अनुवादकीय लिखकर उन्होंने अपने अनुभव जोड़कर पुस्तक की सामग्री को और से अधिक स्पष्ट तथा वर्तमान सन्दर्भो में अधिक प्रासंगिक बना दिया है। इसके लिए हम उनके विशेष आभारी हैं। स्वामी विवेकानन्द के ‘धर्ष भारत का मेरुदण्ड है। इस वाक्य की पृष्ठभूमि में धर्मनिरपेक्षतावादी अनुसार मानसिकता को एक अभिनव आलोक प्राप्त होगा तथा राजनीतिक क्षितिज पर ‘धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन’ एक नूतन अध्याय जोड़ा जा सकेग ऐसी हमारी मान्यता है।
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