This is Hindi book published by Ramakrishna Math, Nagpur
‘दैनन्दिन जीवन में योग’ नामक पुस्तक आपके समक्ष प्रस्तुत है। – प्रथम भाग में चित्तवृत्तियों, पंच क्लेश आदि विषयक योगसूत्रों का दार्शनिक विवेचन है। पतंजलि ने भी अपने योगसूत्रों के पहले अध्याय में इन विषयों का वर्णन किया है। दूसरे भाग में योग में वर्णित सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य, जप-ध्यान आदि सापनाओं यह पुस्तक विभित्र पत्रिकाओं में प्रकाशित स्वामी ब्रह्मेशानन्द के लेखों का संग्रह है। ‘अहिंसा परमो धर्मः’, ‘सत्यमेव जयते’ और ‘श्रद्धावान् लभते ज्ञानम्’, ये तीन लेख रामकृष्ण मिशन आश्रम, छपरा के संस्थापक सचिव डॉ. केदारनाथ लाभ द्वारा सम्पादित ‘विवेक शिखा’ से लिये गये है। ‘अस्तेय’, ‘ब्रह्मचर्य’, ‘जप और ध्यान’ तथा ‘दैनन्दिन जीवन में योग, ये चार लेख लेखक की अंग्रेजी पुस्तक ‘Yoga in Day To Dry Life’ से लिये गये हैं, जिनका अनुवाद स्वामी गीतेशानन्द और ब्रह्मचारी मातृचैतन्य ने किया है। इनके अतिरिक्त पातंजल योगसूत्रों पर आधारित, तथा साधना विषयक कई नए लेख, “विवेक ज्योति’ में ही समय समय पर प्रकाशित हुए थे, विवेक ज्योति पत्रिका के सम्पादक स्वामी प्रपत्त्यानन्द ने इन सभी लेखों को संयुक्त किया है। हम इन सभी के आभारी है। यदि कोई इन नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को अपने जीवन में आचरण करने का प्रयास करता है, तो इस पुस्तक का प्रयोजन सार्थक होगा। आशा है यह पुस्तक निष्ठावान साधकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
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